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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

यह मत पूंछ

यह मत पूंछ

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यह मत पूछ क्या लिखता हूं,

कुछ हिसाब बेहिसाब लिखता हूं,


हां कुछ बेईमान तो हूं शब्दों का,

तो ईमान भी रखता हूं कुछ गमों का।


कितने लोग जमा हैं तुमको पता है मंच से,

भीड़ कारवां बनेगी न समझ पाओगे तंज से।


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