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Ram Chandar Azad

Abstract

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Ram Chandar Azad

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यह मेरा यह है तेरा

यह मेरा यह है तेरा

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यह मेरा यह है तेरा, सोचत ओछे लोग।

पर उदार जन के लिए, सब हैं अच्छे लोग।।

सब हैं अच्छे लोग नहीं कोई दोष दीखते।

वे उनसे भी सदा कुछ न कुछ रहत सीखते।।

कहता है आज़ाद भले जहाँ करें बसेरा।

फर्क दूर होइ जात न यह तेरा यह मेरा।।


जो उदार जन होत हैं रखत न मन में बैर।

शत्रु अशत्रु को सम लखै सबकी चाहें खैर।।

सबकी चाहें खैर बैर नहिं केहु से राखैं।

लोभ, मोह, भयरहित सदा वे सच ही भाखैं ।।

कहता है आज़ाद सबहि से करत वो प्यार।

सभी करत सम्मान कि जो जन होत उदार।।


सकल विश्व के वास्ते खुद को देत खपाय।

नहिं कुछ अपने वास्ते सब कुछ देत लुटाय।।

सब कुछ देत लुटाय, फिक्र नहीं कल की करते।

परहित के कारण जियत, परहित के लिए मरते।।

कहता है आज़ाद लुटावत सब कुछ हँस के।

सब कोई चाहत उन्हें वे तो हैं सकल विश्व के।।



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