यह कैसी आजादी?
यह कैसी आजादी?
आज दिल बहुत उदास है
आजादी की तलाश है
कहीं गुम हो गयी भारत माता
उनसे मिलने की आस है।
दीप जलने से पहले बुझ गयी
बहनों की आबरू लुट गयी
आस्था की जल गयी होली
रह गयी मिलन की प्यास है।
इन्सान कुरबान हो गए कुर्सी के खेल में
सत्ता से उलझे जो वो डाले गए जेल में
पिंजडे से बाहर उड़ते पंक्षी
सैयादों को आती नही रास है।
हसरतें दिल ही दिल मे रह गयीं
सपने हकीकतों में ढह गयीं
कौमी नफरतों की भीड़ में
खो गयी रिश्तों की मिठास है।
हर मजहब इस देश की शान है
वतन पर फिदा हर जान है
मंजिल पर बढ चले कदम
जबतक सांस मे सांस है।