यह जिंदगी
यह जिंदगी
यह जिंदगी
कैसे कैसे नाच नचाती है।
जिसके आगे कोई नहीं
छोटा या बड़ा।
यह जिंदगी
कैसे कैसे नाच नचाती है।
जिसके आगे,
कोई बहाना नहीं,
कोई छूट नहीं,
कोई मौका नहीं,
कोई साजिश नहीं,
कोई रोख नहीं,
कोई रोक नहीं।।
बस नाचना है ।
हर मोड़ उसका होगा
जो नचा रहा होगा।
हम तो केवल
कतपुतालिया है।
विधाता की हाथ में।।
गिरना ,उठना ,संभालना,
छूटना , सीखना, सिखाना, रोना रुलाना, हंसना ,
फसाना, फसना, कोशिश करना
सफल होना या विफल होना।
सपना अपना है पर फल
कर्मो का है।
कर्मो का है।।
यह जिंदगी
कैसे कैसे नाच
नचाती है।।
जिसके आगे कोई नहीं
छोटा या बड़ा।
