ये सोचेंगे
ये सोचेंगे
मदहोश रहने दो
हमे अपनी धुन में
होश आये तो
ख़ुद बह जाएंगे।
किनारे कमजोर हैं हमारे,
हर बार उस ओर ही
बह जाएंगे।
वो तल्ख ही रहे इश्क में,
वरना उससे खुद कों
कैसे बचाएंगे।
है शुक्र वक्त कि कमी है
वरना ये सोचेंगे
कैसे उसे भुलायेंगे।

