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अमित प्रेमशंकर

Romance

5.0  

अमित प्रेमशंकर

Romance

ये प्यार में अक्सर होता है

ये प्यार में अक्सर होता है

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इश्क प्यार में न जाने

ऐसा क्यूँ अक्सर होता है

झूठा छलिया मस्त मगन

सच्चा प्रेमी ही रोता है।।


सो जाता ए जग सारा

कोई रात रात न सोता है

तड़प तड़प के दिन बीते

उसे क्यूँ एहसास न होता है।।


मानें न ए दिल पागल

क्यूँ सपने ऐसे ढोता है

जिसकी कोई आस नहीं

ए दिल क्यूँ उसपे मरता है।।


पूछो जाके उससे तुम

जो दिल ही दिल में रोता है

वो मनचली क्या जाने कि

दुख दर्द क्या होता है।।



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