मोहब्बत का तोहफ़ा
मोहब्बत का तोहफ़ा
उस दिन जब मैंने उन्हें देखा,
नज़रें टिक गयी उन पर हम क्या करें।
समझाया था दिल को इश्क न करो ,
पर उनकी अदा ही ऐसी थी हम क्या करें।
उनसे जब हमने वो बातें की,
उनके आगोश में खो गए हम तो हम क्या करें ?
पल भर भी चैन न मिल पाया हमें,
दीवाने बन गए उनके तो अब हम क्या करें ?
दो बार हमारी नज़रें मिली,
पर उनको देखते ही हम फम कहीं खो गए,
हमें लगा मानो जहाँ पा लिया हमने,
जब निगाहों से पर्दा हटा हम सो गए।
सोया तो मिली हमें फिर वो सपनों में ,
मगर सपनों में भी तनहा वो हमें छोड़ गए।
आरजू थी की दिल में उनके बस जायेंगे,
पर न जाने क्यों वो हमसे मुंह मोड़ गए।
हमने सोचा अब तो भई बहुत हुआ,
वो ही तो हैं जिन्होंने हमारे दिल को छुआ,
इज़हार कर दो जो दिल में है,
क्योंकि अब तो हम उनकी साहिल में हैं।
सहमे दिल से हमने उन्हें बताया,
किस हद तक हम उनसे मोहब्बत करते हैं,
पर किस्मत ने हमें फिर ठोकर मारी,
जब उन्होंने बताया हम तुम पर भरोसा नहीं करते हैं।
बस हम टूट गए, सपने चूर हुए,
समझ गए हम क्यों मिली हमें सजा,
जो कर चुके थे अतीत में,
उसी वजह से किस्मत ने दिया दगा।
आज हम उस मोड़ पर खड़े हैं,
जहाँ हमसे लोग बड़े बड़े हैं,
पर हम भी कम नहीं बिगड़े हैं,
इसी लिए अपनी बात पर अड़े हैं।
की आपसे हम बेपनाह मोहब्बत करते हैं,
पर सच बताये, तो हम इस बात से डरते हैं,
की आगे न जाने क्या हो जाए ?
किस्मत न जाने अब किस ओर ले जाए ?
अब तो बस आपसे ये गुज़ारिश है,
ख़ुदा की भी यही सिफारिश है,
की आज के इस अद्भुत मौके पर,
इस नाचीज़ सृजन का ये तोहफ़ा कबूल करें !

