बस दूर कुछ कदम
बस दूर कुछ कदम
क्यों भटकता तू दरबदर,
क्यों तड़पता तू इस कदर,
अरे एक बार तो आ जाता मेरे पास,
क्या टूट जाता कोई कहर।
तेरे पास तो क्या कुछ न था,
फिर भी क्या कम रह गया था,
पूछ उस से मेरे प्यारे दोस्त,
जिस के पास कुछ नहीं
पर फिर भी सब कुछ था।
यूं तू छोड़ कर चला गया जो अब,
कर दिया तूने सब को निशब्द,
एक बार तो कह कर देखता,
हम थे, बस दूर कुछ कदम।
