ये मेरे बस की बात नहीं
ये मेरे बस की बात नहीं
तु खुद हीं जुदा हो जा मुझसे अब यही बेहतर है
इश्क़ किया था तुझसे नफरत मुमकिन नहीं होगी
तेरे यादों का आशियाँ बनाए बैठे है हम कब से
प्यार के दुनिया को जलाने की हिम्मत नहीं होगी
कैसे करूँ नफरत तुझसे, बता ऐ ज़िंदगी
तुझे भूलने की हमसे कोशिश भी नहीं होगी
अब तु ही मेरी मोहब्बत को कर दे बदनाम
तुझे बदनाम करने की जुर्रत हमसे नहीं होगी
तुझे छोड़ के चला जाऊँ मैं ये हौंसला पाऊँ कहा से
कदम उठ भी गए तो चलने की ताकत नहीं होगी
जो तु है तो मेरे संग मेरी परछाई भी है
अपनी परछाई को मिटाने की मेरी हिम्मत नहीं होगी
खुद को रोक सकता था तुझे चाहने से लेकिन
चाह कर भी दिल मुझसे रुका नही
अब तेरी बेरुखी पर तुझसे नफरत करूँ
ये मेरे बस की बात नहीं।