ये इश्क़ ....
ये इश्क़ ....
जिस्मों से परे रूहानी इश्क़ है, किस्सों में कहें कहानी इश्क़ है...
जिन्दगी के आखिरी पड़ाव तक साथ सफ़र है,
या केवल कुछ पलों की जवानी इश्क़ है......
पूरी जिन्दगी साथ निभाने का वादा है शायद,
शायद एक-दूसरे की जिन्दगानी इश्क़ है...
लैंगिकता से देखते हो क्यों इसे ये परे है इन सबसे,
समलैंगिकता की अपनी भी अलग मनमानी इश्क़ है...
तुमसे रूठना इश्क़ है, तुम्हें मनाना इश्क़ है,
कि हाँ सच में तुमसे दिलबर जानी इश्क़ है...
तुम्हारा मिलना मेरी ही मांगी दुआएँ है लाखों,
ये तो खुदा की बख्शी मेहरबानी इश्क़ है...
क्यों कहते है लोग बदनाम है हम समलैंगिक,
चाहे जो समलैंगिकता एक बदनामी इश्क़ है..
जरूरी तो कि नाम ही हो किसी रिश्ते का हर बार,
एक तरफा, एक जैसा बेनामी इश्क़ है.....
एक- दूसरे का भविष्य ध्यान में रखे जो करियर भी,
तरक्की देखना चाहे यार वो दिल की आशियानी इश्क़ है...
