हँसी का गणित
हँसी का गणित
मैं कैसे करूँ
तारीफ़ तुम्हारी
मेरी पूरी प्रजाति में
इस कदर हसीन होने का और
उच्छ्वास हँसी बिखेरना का
कोई रिवाज़ नहीं है।
पर फिर मैं सोचता हूँ
क्या ये हँसी
वास्तविकता वाली है या
कोई सेल्फी लेने हेतु
हर रोम को
नियंत्रित करके
भ्रमित करने वाली हँसी है।
क्योंकि
ये हँसी का कारोबार
बहुत ज़माने से
मैं देख रहा हूँ
मेरी प्रजाति के कुछ लोग
हँस कर तुम्हारी प्रजाति के लोगों से मिले थे
और फिर वो हमसे कभी नहीं मिले।
वो मिले
किसी के गार्डन में
किसी सर्कस में
किसी लबोर्ट्री में
चाकू के बीच चीखते चिल्लाते हुए
और कभी ट्रक में बंद
बेचे जाने के लिए
या फिर किसी तंदूर की आग में भुनते हुए
खाए जाने के लिए।
सो यह हँसी का गणित काफी कठिन है
और क्या त
ुम्हें सचमुच पता है
कि तुम्हारी हँसी
कहीं किसी की
कामुकता को जन्म नहीं दे रही है,
जो तुम्हारी हँसी से ही
तुम्हारे वक्षों का आकार माप लेता है
तुम्हारे नितम्बों की गोलाई
और तुम्हारे योनि की सुगंध
अपने दिमाग में समेट लेता है।
तुम
मेरे सामने हँस रही हो
बिना किस प्रयोजन के
क्योंकि तुम्हें मालूम है
मैं अभी
इंसान इतना अभी गिरा नहीं हूँ,
पर
मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ
मत हँसना
इस कदर
अपने दोस्तों
अपने रिश्तेदारों
अपने रहबरों
के आगे क्योंकि
फिर तुम्हारी अपनी प्रजाति की
कोई निर्भया रोड पर पाई जाएगी
और
वर्षों तक न्याय के लिए
खुद ही लड़ते हुए मारी जाएगी
सो अब
सोचो
हँसना
क्या इतना आसान है ?
कतिपय नहीं।