Bhagyashri Chavan Patil

Abstract Romance Classics

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Bhagyashri Chavan Patil

Abstract Romance Classics

ये हवाये

ये हवाये

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रुक जाओ वहीं के वहीं

सपनों में हम दोनों बड़े ही अच्छे लगते हैं

कुछ भी मत बोलना बस तुम्हारी धड़कन सुननी हैं।


बस अब रुक जाओ वहीं के वहीं

पता हैं ओरो की तरह तुम यू बोल नहीं पाते हो

पर तुम्हारी आंखें सब कुछ बयां करती हैं।


बस अब रुक जाओ वहीं के वहीं

साथ हम रह नहीं पाते पता है बस यूं हवा 

बनकर आ जाओ यहीं ख्वाहिश हैं।


बस अब रुक जाओ वहीं के वहीं

तुम्हारी याद भी हर पल आती हैं

जैसे तुम आकर मेरा थाम लोगे ऐसा लगता हैं।


बस अब रुक जाओ वहीं के वहीं

दुनिया कहती हैं ये यादे हमें यू कमज़ोर बना देती है

पर मुझे लगता है कि हम उतने कमज़ोर नहीं कि

तुम ना होकर भी हमारे पास एक सपना बनकर आए है।


बस अब रुक जाओ वहीं के वहीं

बहोत हो गया यूं तारे सपनों में गिनना में एक पागल

और तुम भी कहाँ हो पता नहीं

पर आपना होने का एहसास दिलाते हो

तब अच्छा लगता है।     


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