STORYMIRROR

Sweta Parekh

Classics

4  

Sweta Parekh

Classics

ये है मेरे रिश्ते

ये है मेरे रिश्ते

1 min
24.4K

ये है मेरे रिश्ते !

जनम से जो जुड़े वो खून के,

और बाकी जो जुड़े वो मेरी भावनाओ के !


ममता से जो जुड़े वो माँ-बाप के,

पलकों पे जो बिछाये वो दादा-दादी के,

खिलोने से जो खनके वो भाई-बहनों के,

खुशियों में जो जलके वो परिवार के,

ये है मेरे रिश्ते !


कभी हसते, कभी गाते,

कभी लड़ते, कभी बिछड़ते ,

जो जुड़े रहे वो निभाते रहे ओर,

जो बिछड़ गये वो भी बहोत कुछ सिखाते गये !


हर पल एक नया दौर था,

हर पल एक नयी सिख थी,

क्युकी हर पल बीते पल से अलग पल था,

बहोत कुच सीखा बहोत कुच जाना,

हर पल ने क्या खूब पहचाना !


परिवार का साथ ताकत बनकर रहा,

अपनों ने हर मुश्किल में साथ निभाया,

यूँ ही नहीं कहेते दिल के रिश्ते,

खून से भी जयादा कभी इन्होने रंग दिखाया,

देवकी ओर यशोधा ने दुनिया से ये भेद मिटाया,

हर रिश्ता अपनी अलग छाव लाया !


कितनी ही तरक्की करलो,

कितनी ही पहेचान बनालो,

हर पहचान अधुरी जब

अपनों से हो दूरी,


साथ मिल कर जो खुशियाँ पायी वो

दुनिया की कोई चीज़ ना भर पायी,

यूँ ही साथ रहेकर हर रिश्ते ने अपनी अलग पहचान बनायीं !

ये है मेरे रिश्ते !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics