ये दो हाथ
ये दो हाथ
सृष्टि कर्ता ने दिए हमें देखो दो दो हाथ,
सारा ब्रह्मांड थमा दिया देखो इन्हीं दो हाथ।
दाता ने ना की कमी हरियाली में पवन में,
जल में, आकाश में सागर में।
प्राकृतिक सुंदरता नयनाभिराम में
तू ही तो है सृष्टि के सुनहरे रूप
को सजा नहीं पाया।
आधुनिकता विकास के नाम पर
हरियाली को पेड़ों से है चुराके
अट्टालिकाओं के लालच में वृक्षों को कटवाया।
तभी तो ग्लोबल वार्मिंग से
ग्लेशियर बहा जा रहा है,
ज्वालामुखी उबल रहे हैं,
पंछी तड़प रहे हैं।
जल थल दोनों ओर मचा हाहाकार है।
पर इन दो हाथों में आज भी,
प्रकृति का सिंगार है।
उठो, करो सुरक्षा पर्यावरण की,
दोहन से उसे बचाओ,
दुल्हन की तरह से सजाओ।
पर्यावरण बचाओ
मानव जनम बचाओ