ये आँखे
ये आँखे
हमारी ये आँखे बहुत कुछ कहती हैं
कि ये बहुत कुछ सहती हैं
इसलिए हम झुका लेते हैं
ताकि हमारे राज हम तक ही रहें,
आँखे हमारी हो या किसी और की
आँखो में नमी हो या आँसू अच्छे नहीं लगते,
न खुशी में न गम में न दूरी न दर्द में
न किसी मज़बूरी में
पर कुछ लम्हे होते ही आते हैं
जब दुख सुख में परिवर्तित हो जाए
तब भी आँखो में आँसू ही जाते हैं
बिन बुलाए मेहमान की तरह !