यात्रा
यात्रा
जीवन की बात ही है निराली !
नई दिशाएँ, नई ऊर्जा और
अपनी एक अलग पहचान बनाती
बेशक़ीमती लम्हों की सुनहरी यादों की
बारात लेकर आती हैं खुशियाँ ... !
क्या आप अपनी यात्रापथ में
संयम-स्वच्छता-शांति-सकारात्मकता
का पूरा ख्याल रखते हैं ?
क्या आप में अपने समाज व राष्ट्र
के प्रति कर्तव्यनिष्ठ भावना है ?
क्या आपको अपने उत्तरदायित्व का
एहसास है ?
अगर इन सवालों का उत्तर "हाँ" में है, तो आप ज़िंदादिल हैं ...
वतनपरस्ती को ईमान की ज़रूरत है, क्या आप पूरी ईमानदारी से भारत देश
की स्वाभिमान यात्रा पर आगे निकलेंगे ?
राष्ट्र एकता की विजय पताका
लेकर चलना है हमें ...
इस विश्व दरबार में स्वामी विवेकानंद जी जैसा
स्वाभिमान और देशप्रेम उजागर करना है !
स्वामी जी जैसा त्याग और तपस्या
विरल है,
उनके विश्व-भ्रातृत्वबोध को नमन करता हूँ मैं...
उनसे नित्य प्रेरित होता हूँ...
केवल मैं ही नहीं, सारा विश्व ही
उनकी अमृतवाणी से प्रेरित है ... !
ये गुरु नानक देव जी का देश है, जहाँ शांति और प्रेम की पूजा होती है ...
सच्चे बादशाह को मेरा शत्-शत् नमन ...
गुरुवाणी से है हर ओर पावन परिवेश!
यहाँ धर्मनिरपेक्षता का बोलबाला है।