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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

कोरोना काल

कोरोना काल

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हर गांव हर गली शहर देश बंद हो,

आदमी का ठहराव भी निशब्द हो,

जहां हो वहां रुक जाओ अभी सभी,

हर आदमी से आदमी नजरबंद हो।


सावधान होशियार खबरदार हो,

आदमी से आदमी बेखबर हो,

कुछ दिन और न बाहर की खबर हो,

सिर्फ सरकारी निर्देशों का असर हो,

मामला गंभीर है दुनिया तस्वीर है,

यह इंसानियत की तकनीक है।


सुन रुक जा वहीं जहां से चला है,

कोरोना चलते मिलते राह मिला है,

आफत न मचा भाई गांव शहर में,

आदमी के रुकने से कोरोना मरा है।


कुछ दिन और लड़ना है,

बीमारी का राग बदलना है,

देखो भय व्याप्त है संसार में

भूख प्यास है हालात से,लेकिन

हमें कोरोना को हराना है,

सरकार के साथ आना है।


जागरुकता ही बचाव है,

कोरोना को हराने के लिये,

जनता का ठहराव है,

कोरोना को मिटाने के लिये।


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