यार पुराने निकले
यार पुराने निकले
निकली दगाबाजों की फ़ेहरिस्त तो कुछ यार पुराने निकले
किस से करूँ तेरी शिकायत, यह सब तो तेरे दीवाने निकले
कुछ यह सोच जशन में थे घर में रह कर ही बदलेंगे कभी
हम घर से फ़क़ीर बन जब निकले तब तब खजाने निकले
जिन्हें डर था तपती धूप का वो ठंडी छाँव तले बैठे रहे
हमें पसीने से बेपनाह मोहब्बत थी, तो हम कमाने निकले
वो जो कहते थे चाँद तोड़ के लाएंगे तुम्हारे लिये हम
एक दिया जलाने को कहा तो मुंह से उनके सौ बहाने निकले।।

