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सूरज भी बेचारा हड़बड़ाकर उठा होगा कि आज अचानक इतनी सुबह मैं भी कब निकलता हूँ ? सूरज भी बेचारा हड़बड़ाकर उठा होगा कि आज अचानक इतनी सुबह मैं भी कब निकलता हू...
नये साल में यार कुछ तो नया हो नई इक ज़मी हो नया रास्ता हो। नये साल में यार कुछ तो नया हो नई इक ज़मी हो नया रास्ता हो।
आया न कुछ भी हमको कभी इश्क़ के सिवा बस यूँ ही काम वाम में रक्खे हुए हैं हम ! आया न कुछ भी हमको कभी इश्क़ के सिवा बस यूँ ही काम वाम में रक्खे हुए हैं हम !
कहा था खूब लगती हो, कभी जो लाल होती हो मगर ये रोज़ तेरा रूठना अच्छा नहीं लगता कहा था खूब लगती हो, कभी जो लाल होती हो मगर ये रोज़ तेरा रूठना अच्छा नहीं लगता
फलक में चाँद के जैसे,रहे मुझ में कहीं मौजूद कभी आधी, कभी पौनी, कभी पूरी, उदासी है। फलक में चाँद के जैसे,रहे मुझ में कहीं मौजूद कभी आधी, कभी पौनी, कभी पूरी, उदा...
जिन्हें डर था तपती धूप का वो ठंडी छाँव तले बैठे रहे जिन्हें डर था तपती धूप का वो ठंडी छाँव तले बैठे रहे
मुझको अब अपनों से डर लगता है मकान दुश्मन का अब घर लगता है। मुझको अब अपनों से डर लगता है मकान दुश्मन का अब घर लगता है।
अधरों की लाली दे डाली माथे पर बिंदिया लाल। अधरों की लाली दे डाली माथे पर बिंदिया लाल।
कोई मुझसे मिलने से कतरा रहा है। कोई मुझसे मिलने से कतरा रहा है।
रात को देखता हूं अक्सर घर वापिस जाते हुए बहुत से मांस के टुकड़े पड़े रहते हैं। रात को देखता हूं अक्सर घर वापिस जाते हुए बहुत से मांस के टुकड़े पड़े रहते ...