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Vishal Vaid

Abstract Others

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Vishal Vaid

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चार बजे वाला सूरज

चार बजे वाला सूरज

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एक बार उसने 

मुझसे कहा था  

चार बजे वाला 

सूरज कभी देखा नहीं।

कल सुबह भी शायद 

जल्दी जगी थी

चार बजे ही शायद

सुबह का सूरज देखने को ।

सूरज भी बेचारा हड़बड़ाकर 

उठा होगा कि आज अचानक

इतनी सुबह मैं भी कब निकलता हूँ ?

फिर भी सूरज उसके लिए 

निकलने ही वाला था ।

मगर वो फिर से करवट बदल कर सो गई

और फिर सूरज ने भी एक जम्हाई ली

और

कुछ देर और सोने के लिए 

बादलों की चादर ओढ़ ली।

मैंने भी कहा था उस से 

चार बजे सूरज नहीं निकलता

पगली !!!


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