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Vishal Vaid

Others

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Vishal Vaid

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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नये साल में यार कुछ तो नया हो

नई इक ज़मी हो नया रास्ता हो


मिरी याद तुमको ज़रा सी तो आये

नये साल में कोई ऐसी शिफ़ा हो


मिरे ज़ख्म सा पेड़ कोई न होगा

खिजाओं के मौसम में भी यूँ हरा हो


जिसे मैंने धोखा ही धोखा दिया है

कभी तो वो मुझ से ज़रा सा खफ़ा हो।


नहीं देते साया शज़र जो है ऊँचे 

मदद उस से मांगों जो दिल से बड़ा हो


दुबारा करो जो मुहब्बत उसी से

तो नज़दीकियों में भी कुछ फासला हो 


पुराने शजर ये बताते हैं मुझको

जमीं पे ही रहना, कहीं की हवा हो 


मुहब्बत में मेरी असर ऐसा आए

जो सोचूं उसे रूबरू वो खड़ा हो


दुआ जब भी मांगो तो मांगो यही तुम

ऐ मालिक मेरे साथ सबका भला हो 


न इंसा की चाहत का छोर कोई

करेले हो मीठे, ये शब दूधिया हो।


शिफ़ा....... दवा 

खिज़ाओं .... पतझड़

शजर.......... पेड़

शब ........... रात 



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