यार मेरे तूने ये क्या किया ?
यार मेरे तूने ये क्या किया ?
यार मेरे तूने ये क्या किया ?
धड़कनों को मेरी अपना किया ,
मैं जिस डर से थी दूर भाग रही ,
उसी डर को देख सपना किया।
जानती थी मैं कि सब खत्म होगा ,
इस प्यार की राह का भी अंत होगा ,
यादों में तेरी मैं फिर खो जाऊँगी ,
चाह कर भी लौट के ना आऊँगी।
बस नैनों से तेरी यादों के मोती गिरेंगे ,
इस ज़िस्म में तेरे अक्स के कतरे दिखेंगे ,
तेरी बातों के इत्र की महक जब उड़ेगी ,
तब मेरे लबों पर तेरे नाम के अक्षर सजेंगे।
तेरे साथ गुजारे पल मुझे सोने ना देंगे ,
कहीं अंदर ही अंदर रोने भी ना देंगे ,
मैं चाहतों को अपनी जितनी हवा दूँगी ,
ये उतने ही मेरे संग - संग चलेंगे।
मैं रोज तेरे नाम का सजदा हूँ करती ,
तेरी बेताब निगाहों को अपनी रूह में भरती ,
रात को जब बिस्तर खाली सा है लगता ,
मैं बेवजह ही तेरी बाहों के साये में पलती।
ये ढलती उम्र का प्यार बड़ा तकलीफ देता ,
सब कुछ कहने की तुमसे हिम्मत ना देता ,
शायद तुम समझोगे मेरी बेताब ख्वाईश को ,
इसी उम्मीद में ये रोज़ तुम्हे एक संदेश देता।।