यादों की तपिश के मौसम की धुन
यादों की तपिश के मौसम की धुन
यह
गर्मी की शाम
कितनी सुहानी है
तेरी याद सी ही
रूहानी है
मेरे मन के दर्पण में
झांकता कोई अतीत
सुना रहा
मुझे कोई कहानी है
बात यह सदियों पुरानी
है पर
एक हवा के झोंके सी ही
ताजी और नूरानी है
पेड़ों पर पत्ते हैं
आकाश में बादल
तालाब के किनारे
जमीन पर लहराती दूब
एक प्यासा पंछी
उसकी परछाई
हर सूँ खामोशी
नहीं कहीं कोई भी शोर
मेरे मन में बसे
सन्नाटों
चुप्पी तोड़ो
जीवन की धुन पे थिरकता
कोई साज छेड़ो
सुनाओ मुझे
यादों की तपिश के मौसम की
धुन
बेगानी सी।
