यादों का गलियारा
यादों का गलियारा
कभी कभी जब मेरा मन
भागे यादों के गलियारे से,
गुजरती है कुछ भूली बिसरी यादें
इस खट्टे मीठे जीवन की,
कहीं मिली एक कोने में
अधखुली किताबें बचपन की,
कुछ पन्ने थे रंग-बिरंगे
कुछ खाली अधचित्रित से,
कुछ जानी-पहचानी शक्लें
कुछ पहचानी-अनजानी सी,
सही-गलत का भान नहीं था
फिर भी कुछ अनजान नहीं था,
अब उन खाली पन्नों में
नए-नए रंग भरना है,
किया नहीं जो बचपन में
वो सब कुछ अब करना है।।