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Archana Nema

Abstract

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Archana Nema

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घूमती दुनिया का रुका हुआ अक्स

घूमती दुनिया का रुका हुआ अक्स

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घूमती हुई दुनिया का

रुका हुआ अक्स है


परेशान हुआ हालत से

बेहाल हर शक्स है


आयी है विपदा भारी

फैली चहंु ओर महामारी


गंभीर बड़ी समस्या 

है अस्त्र शस्त्र से परे


ज्ञान विज्ञान के प्रयास भी

बस रह गए धरे के धरे


है भौतिकता की अंधी दौड़

रिश्ते नाते तो क्या सेहत भी गौड़


पर प्रकृति बड़ी विद्वान् हैं

अपने संतुलन का इसे ज्ञान है


देखो जरा गौर से

बदलते इस दौर को


जहाँ.....

पिंजरे में कैद है इंसान

पक्षी भर रहे उन्मुक्त उड़ान


स्वच्छ हो रही नदियां

आनंदित आसमान है


पुलकित ,प्रफुल्लित पुष्प प्रसून

निम्न स्तर पर आ गया प्रदूषण


देखो अपने पुनरुद्धार का

प्रकृति का छोटा सा प्रयास


समय है अब

चिंतन का, आत्ममंथन का

आवश्यकता से आधुनिकता के सफर में

वापस अपने संस्कार

अपनी संस्कृति से जुड़ने का


तो जगाओ अपनी चेतना को

वातावरण प्रति संवेदना को

सुनो प्रकृति का मूक संदेश

अन्यथा बहुत पछताओगे


 रुकी हुई इस दुनिया को

कभी ना गति दे पाओगे

कभी ना गति दे पाओगे।



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