यादें -होली की
यादें -होली की


ये एक ऐसा दिन है,
जो ख़त्म होने पर ढेर सारी यादों से हमे अलविदा कहता है।
वह भी क्या दिन थे,
जब होली में सब कहीं पर भी क्यों न हो मगर साथ इकट्ठा होते
थे।
वह भी क्या दिन थे,
जब होली के गाने और रेडियो सुनके मस्ती किया करते थे।
वह भी क्या दिन थे,
जब रिश्तेदार के घर पकवान खाने को जाते थे।
वह भी क्या दिन थे,
जहाँ आसमान, हर एक घर, गलि, मोहल्ला, यहाँ तक फ़िज़ा भी रंगीन थे।
वह भी क्या दिन थे,
जब होली की तैयारी पाँच -छह दिन से शुरू किया करते थे।
g> वह भी क्या दिन थे, जब ग़ुलाल का अर्थ सिर्फ़ मस्ती और सकारात्मक सोच हुआ करते थे। वह भी क्या दिन था, सुबह होते ही दोस्तों के साथ ग़ुलाल और पिचकारी लिए गलि- गलि खेला करते थे। वह भी क्या दिन था, जब ये मस्ती भरे दिन बेसब्री से इंतज़ार हम करते थे। वह भी क्या दिन था, सुबह गाने सुनना और सबके चेहरे पर एक मुस्कुराहट बस खिल उठते थे। वह भी क्या दिन थे, जब ये दिन हम बच्चे, उत्सव सा मानते थे। ये एक ऐसा दिन है, जो ख़त्म होने पर ढेर सारी यादों से हमें अलविदा कहता है।