Ehsas pehli baarish ka
Ehsas pehli baarish ka
पहली बारिश होने पर,
धरती माटी पर भी अमृत बरसती है...
पहले बारिश होने पर,
माटी से निकली एक सौंधी सी महक चारो ओर अपना जादू बिखेर देती है।
वह पहली बारिश न जाने,
कितने अपनो को पास लायी है...
वह पहली बारिश हर एक बूँद से अपने,
हमे कुछ न कुछ याद करवाई है।
धरती, इंसान, पंछी और पशु सब,
उस एक बूँद को पाने के लिए तरस जाते है...
ग्रीष्म ऋतु होते ही पशु, पक्षी, पेड़ और एक छोटे से छोटे पौधे को भी,
उस पहले बारिश की प्यास, सभी को रहती है।
मेंढक की टर -टर आवाज़ और कोयली का चहचहाना है,
ये सब तो बारिश के आने का उत्सव है...
बारिश के आने का संकेत है,
घर में पकोड़े के साथ चाय बनाने का मौसम जो आया है।
बादलों से गिरती बारिश पैगाम लिए आती है,
किसी के दिल का हाल तो किसी का हाल -ए -दिल सुनाती है...
छम -छम कर पानी में गीत गुनगुनाके नाचते रहना,
बिजली कड़की तो भागने लगे, वह बचपन की मज़े अब याद आती है,
जब बारिश उन यादों को अपने संग ले आती है।
बच्चों का छतरी पकड़र पानी में खेलना,
बारिश रुकते ही घर से बहार निकलकर दोस्तों के साथ चाय की टपरी पर चाय पिने का मज़ा अलग है...
आसमान साफ़ होते ही इंद्रधनुष को देखने की उत्सुकता हमेशा रहती है,
उन साथ रंगों में खुद रंगीन बन जाना और बिखरे पत्तों और फूलों को उठाकर उन्हे खेलना बहुत आनंद देता है।
ये बारिश यादों का डिब्बा साथ लिए चलती है,
कभी मीठी तो कभी अटपटी यादों से दिल को जगा जाती है...
कागज़ का नाव कर गालियारे में तैराना,
इसका तो अपना ही एक अलग मज़ा है।