याद
याद
जो तू मेरा हाथ छोड देगा,
मैं ज़िन्दगी को रुसवा कर जाऊंगा।
जो तू मेरे साथ होगा,
मैं हर मर्तबा तूझे ही चाहूंगा।
जो तू मेरी चाहत बनेगी,
मैं जन्नत को तेरे कदमो में झुका दूंगा।
जो तू मुझको बाहों में भरेगा,
मैं हर खुशी से तलब हो जाऊंगा।
जो तू मेरी हो जाये,
मैं हर मुश्किल से जीत जाऊंगा।
जो मुझ पे तेरा हक हो जाये,
मैं हर गम को भूल जाऊंगा।
जो तू मेरे हाथों को चूम जाए,
में परियो का नुर भूल जाऊंगा।
जो तू मेरी इबादत बन जाये,
मैं हर मजहब को भूल जाऊंगा।
जो तू मेरी रूह बन जाए,
मैं हर चाहत से पूरा हो जाऊंगा।
जो तू मेरी हमसफर बन जाए,
मैं हर मंजिल को पार कर जाऊंगा।