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KISHAN LAL DEWANGAN

Abstract Romance

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KISHAN LAL DEWANGAN

Abstract Romance

याद (प्रिय की)

याद (प्रिय की)

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है रात घनेरी छा रही, आँखों में निंद आ रही ।

सपनों के शहर में है याद तेरी आ रही। 


है महलों की वो रानी,

सिर पर जिसके सदा रंगों की है बादल मंडरा रहे। 


जंगल की है मोरनी,

जिसके सुरों की बरखा गा रही। 


कोमल कोमल है उसकी हर बोल,

जो तरंगों की भाती लहरा रही। 


देख चेहरे की नूर जिसकी,

मस्त मगन हो बरखा नाच रही। 


है रात घनेरी छा रही, 

मुझे याद तेरी आ रही। 



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