इजहार ए इश्क़
इजहार ए इश्क़
दर्द है कि खतम ही नहीं होता
अगर किया है इश्क़ तो सहना ही पड़ता
चाहत है मोहब्बत की, आरजू न करना
बेकरारी मिलने की, तुम तकल्लुफ़ न करना
पार होंगी हदें इश्क़ की, इत्तला न करना
आशिक् हैं तेरे, पागल न समझना
न रहेगी बाकी कशिश इजहार की,
पहले तू मोहब्बत जाहिर न करना।