वतन से मौहब्बत
वतन से मौहब्बत


वतन से वो यूं कुछ मौहब्बत निभा गये।
उम्र भर के लिए हमको कर्जदार बना गये।।
त्याग और समर्पण क्या है हमको सिखा गये।
वतन से बढ़कर कुछ नहीं ये हमको दिखा गये।।
भूलकर अपना हंसता खेलता घर, परिवार,।
वतन से करके बडे़ दीवानों वाला प्यार।।
देश पर अपनी इक पल में जान लुटा गये।
देशभक्ति क्या होती है ये हमको बता गये।।
उनकी मौहब्बत और शहादत अमर है।
उनके लिए रोया भारत का हर घर है।।
मौहब्बत और शहादत की परिभाषा बता गये।
वो वीर वतन पर अपनी जान लुटा गये।।
ताकि सुरक्षित रहे उनके देशवासी।
शहीद होकर भी गई न
ा चेहरे से हंसी।।
वो अमर वीर जाते -जाते हमको रूला गये।
शहादत को ,वतन से मौहब्बत बता गये।
घर में बिलखते मां पत्नी और बाऊ जी।
उन्हें आँसू न बहाने की शपथ दिला गये।।
कुछ इस तरह वतन से वो मौहब्बत निभा गये।
जाते -2 हर भारतीय को कर्जदार बना गये।।
सदियों तक रखी जायेगी याद उनकी कुरबानी।
कुरबान होकर देश की जो मिट्टी में समा गये।
तरसती रही वो मां देखने को लाल का चेहरा।
अपनी मां से पहले भारत मां ये समझा गये।।
भारत के रोम रोम में बहती खुशबु उन महावीरों की
अब तक न जाने कितने वीर बगिया महका गये।।