मन के भावों को पन्नो पर गढ़ती हूं कुछ इस तरह मैं अपनी कविता और कहानी लिखती हूँ.....
अगर हाथ थाम लेतीं हमारी टांगें तोड़ देने वाली स्त्रियां। अगर हाथ थाम लेतीं हमारी टांगें तोड़ देने वाली स्त्रियां।
नाहीं कोई स्त्री केवल स्त्री होने से महान कहला सकती। नाहीं कोई स्त्री केवल स्त्री होने से महान कहला सकती।
हे ब्रह्मदेव ! तुम नहीं जानते कितना कठिन होता है। हे ब्रह्मदेव ! तुम नहीं जानते कितना कठिन होता है।
कितनी ही कामनाएं मसली है मैंने अपने कोमल हृदय पर खिलखिलाती। कितनी ही कामनाएं मसली है मैंने अपने कोमल हृदय पर खिलखिलाती।
मैं मृगिनी बन दर दर भटकती ठोकरें खाती। मैं मृगिनी बन दर दर भटकती ठोकरें खाती।
प्रेमी की आंखों में जितना डूबती है उतना बच जाती है प्रेमिका प्रेमी की आंखों में जितना डूबती है उतना बच जाती है प्रेमिका
हमारे बीच में बन गया था आठवां समंदर जिसकी खबर अभी तक जमाने को नहीं थी हमारे बीच में बन गया था आठवां समंदर जिसकी खबर अभी तक जमाने को नहीं थी
सबकुछ शून्य होने की महसूसता में भी मेरे कानों तक पहुंच रही है झींगुर की आवाज। सबकुछ शून्य होने की महसूसता में भी मेरे कानों तक पहुंच रही है झींगुर की आवाज...
हम हर जुदाई में खूब तड़पे हम हर तड़प में खूब मरे हम हर जुदाई में खूब तड़पे हम हर तड़प में खूब मरे
मृत्यु मां सी रहम दिल है। मृत्यु मां सी रहम दिल है।