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Savita Patil

Inspirational

4.3  

Savita Patil

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वतन हमारा

वतन हमारा

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भूल जाओ इक बार खुदा को

तो भी माफ़ कर देगा वो!

पर मत भूलो उन शहीदों को

जिनकी चिताओं पर तुम स्वतंत्र खड़े हों।


यूं ही तो नहीं मिली ये आज़ादी

और यूं ही तो नहीं टीक पाई है,

हुए हैं ऐसे खुदा इस भूमि पर...

जिन्होंने हंसते -हंसते जान गवाई हैं।


न जाने वो कैसी दीवानगी थी

न जाने वो कैसा सुरूर था

देश से मोहब्बत उनको

देश ही जिनका गुरूर था!


हमें भी ऐसा दीवानापन दे खुदा

ऐसी मोहब्बत दे,

वतन पर हो फिदा

वतन से वफा, ऐसी फ़ितरत दे।


वतन ही एक प्रेम हो

वतन ही एक धर्म हो हमारा

वतन ही बहें नसों में

बनकर लहू हमारा!!


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