वतन हमारा ऐसा है
वतन हमारा ऐसा है


इस समय वतन हमारा ऐसा है,
ज़्यादातर सबको प्यारा पैसा है।
धन-दौलत एशो-आराम शोहरत,
पाने के लिए सारी हदें पार करते।
ग़रीब जी-तोड़ मेहनत करके भी,
खून-पसीना बहा भूखा-प्यासा है।
अमीर दिन-प्रतिदिन अमीर होता,
ग़रीब ख़्वाबों के सहारे तो जीता।
इंसानियत शर्मसार होती जा रही,
शैतानियत नंगा नाच है दिखा रही।
कलयुग घनघोर कैसा आ गया ना,
कोशिशें करके हमनें सतयुग लाना।