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Sumit Malhotra

Tragedy

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Sumit Malhotra

Tragedy

वतन हमारा ऐसा है

वतन हमारा ऐसा है

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इस समय वतन हमारा ऐसा है,

ज़्यादातर सबको प्यारा पैसा है।


धन-दौलत एशो-आराम शोहरत,

पाने के लिए सारी हदें पार करते।


ग़रीब जी-तोड़ मेहनत करके भी,

खून-पसीना बहा भूखा-प्यासा है।


अमीर दिन-प्रतिदिन अमीर होता,

ग़रीब ख़्वाबों के सहारे तो जीता।


इंसानियत शर्मसार होती जा रही,

शैतानियत नंगा नाच है दिखा रही।


कलयुग घनघोर कैसा आ गया ना,

कोशिशें करके हमनें सतयुग लाना।


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