वसंत की आहट
वसंत की आहट
कोयल की मधुर आवाज़ गूँजी
कलियाँ विकसित हुई पुष्प बन
पतझर की नीरवता टूटी
वृक्षों से झर रहे मकरंद
वन वन शोभित
हरित कुंज है
ओ री सखी
ये वसंत की आहट है।
मन पुलकित,
तन मगन नृत्य में..
जन जन शोभित
ज्यो उत्सव में
ओ री सखी
ये वसंत की आहट है।