हे कान्हा तुम हो निर्मोही ना समझे तुम राधा को ही। हे कान्हा तुम हो निर्मोही ना समझे तुम राधा को ही।
हर पुष्प खिल रहा है कुंभ का मेरा, आनंद विभोर हो गया कुंज मेरा। हर पुष्प खिल रहा है कुंभ का मेरा, आनंद विभोर हो गया कुंज मेरा।
क्या सुनोगे तुम वो तराने, रहगए जो तरस तरस के। क्या सुनोगे तुम वो तराने, रहगए जो तरस तरस के।
ओ री सखी ये वसंत की आहट है। ओ री सखी ये वसंत की आहट है।
ये उदासी का धुंध सहा नहीं जा रहा रास्ता भी बुला रहा लौट आओ अब। ये उदासी का धुंध सहा नहीं जा रहा रास्ता भी बुला रहा लौट आओ अब।
कुंज में गूँज है, गूँज में निकुंज है, निकुंज में संकोच है। कुंज में गूँज है, गूँज में निकुंज है, निकुंज में संकोच है।