STORYMIRROR

Kamini sajal Soni

Others

3  

Kamini sajal Soni

Others

निर्मोही

निर्मोही

1 min
274

हे कान्हा तुम हो निर्मोही

ना समझे तुम राधा को ही।

तन के तो तुम थे ही सांवरे

मन के भी क्या हो गए कारे।


जगा के मन में प्रीत किसी के

बसा के मन में भाव प्रेम के।

भूलना तुम्हें किसने सिखाया

क्यों विरहा में गये छोड़ के।


मंद मंद चले पवन वसंती

छाई है चहूं ओर हरियाली।

तड़प रही है विरहन राधा

देख के कुंज पीली पीली।


हे कान्हा तुम हो निर्मोही

ना समझे तुम राधा को ही।


Rate this content
Log in