वक़्त......
वक़्त......
ये तो वक़्त वक़्त की बात, आनी जानी जिन्देगी के साथ,
बड़ा बेदर्दी है, कभी पकड़ता नहीं किसीके हाथ।
अपने वादे का है वो पक्का, आनेका बाद बोलता,
समझो या ना समझो, उसको फरक नहीं पड़ता।
जब वो खुशियाँ लेकर आता, सब आदर करते,
जीभरके जीबन का भरपूर आनंद भी तो लेते।
उसमे होकर मतुवाला ये सब फिर भूल जाते,
कुछ पल की मेहमान, पर अपना सोच बैठते।
फिर अनजाने मे कुछ गलतियां भी करते जाता,
वक़्त है बड़ा चालाक,सुधारने का मौका नहीं देता।
चुप चाप वो वक़्त चला जाता, पता भी नहीं चलता,
अचानक जिन्देगी बदल जाता, समझ नहीं आता।
खुशियों के बदले दुःख दर्द और आँसू ही दे जाता,
फिर अपनी मन उदास होता, दिल ही तुट जाता।
खुशियाँ जिनके साथ बांटे थे, धीरे धीरे छोड़ जाते,
कुछ साथ रहे जाते, जिनको हम अपना कहेते।
फिर कुछ समझने मे आता वक़्त एक सा ना होता,
पर हमको वो अपनों से पहचान तो करवाता।
वक़्त तो किसीके बस मे नहीं, वो कभी रुकता नहीं,
वो तो आजाद पंछी है, कहीं पर भी वो टिकता नहीं।
जब उसके सूरत देखने कोई कोशिस करेगा,
तुरन्त उड़ता पंछी जैसा वो उड़ता चला जायेगा।
वक़्त की कदर करो, वो सदा सही रास्ता दिखायेगा,
जिन्दगी का यही सच, ना समझें तो बड़ा दुःख देगा।
