वक़्त आएगा
वक़्त आएगा
बिन फेरे हम तेरे
पर राह हैं टेढ़े मेढे
समाज परिवार की बात
खत्म होगी मुलाकात
क्यों न मना ले सभी को
तब हो अपने सांझ सवेरे
बिन फेरे हम तेरे।
रोकेगा जमाना हमें
पड़ेगा उन्हें बताना हमें
वक्त बदला, स्वीकार लें
वर्ना होगा चमन अंधेरे
बिन फेरे हम तेरे।
एक वक्त जरूर आएगा
सब कोई मान जाएगा
लेंगें तब फेरे भी
रखना बातें यादें मेरी
बिन फेरे हम तेरे।