वफा की कसम
वफा की कसम
मिले थे जब यौवन की उम्र में हम,
कुछ तो हुआ था सच में सनम।
चाहते थे जिक्र हो चाहतों का मगर...
बन ना सके बेशर्म हम और तुम।
परवाह थी दिल के ईमान की,
दी थी किसी को वफा की कसम।
जो भी रही है ख्वाहिश अधूरी,
शायद मिलेंगे तो हो जाए पूरी।