वो उनसे पहली मुलाक़ात
वो उनसे पहली मुलाक़ात
वो उनसे,
पहली मुलाक़ात ,
पत्तियों पे जैसे,
ओस की बूँद हो।
वो रिश्ता भी,
बड़ा अजीब था ,
बादलों में जैसे,
धूप की लुका छुपी हो।
वो उनकी,
सपनों वाली बातें ,
आज भी हवाओं को,
जैसे छू कर गुज़रती हो।
वो उनकी,
नाराज़गी ,
कुछ बातों के बाद,
जैसे पानी का बुलबुला हो।
