,,वो था जब,,
,,वो था जब,,
वो था जब ये मेरी दुनियाँ में तब मेरी ये
दुनियां मुझे बेहद खूबसूरत नज़र आती थी,
वो था जब ये ज़िंदगी भी मुझे ज़िंदगी जैसी लगती थी,
जीने का कोई मकसद मिल गया था
मुझे मेरी मोहब्बत सबसे अलग नज़र आती थी,
मैं अपनी इन खुशियों से भरी ज़िंदगी के हर लम्हें को
पल पल महसूस कर थी,
ना तो किसी बात की कोई फिक्र थी मुझे
और ना कोई चिंता ही सताती थी,
मोहब्बत के इस नशे में मैं कुछ इस कदर डूबी हुई थी,
कब दिन महीनों में बदले और कब महीने
साल बने कुछ पता ही ना चला,
खुशहाल ज़िंदगी मेरी इस ज़िंदगी में चार चाँद और लग गये
जब हमारे रिश्ते को एक नन्हें मुन्ने ने आकर और मज़बूत बना दिया,
आज मेरी ये खूबसूरत सी दुनियाँ मुकम्मल हो गयी थी।

