वो तेरा प्यार ही तो
वो तेरा प्यार ही तो
यूँ तो तेरी यादों से निबाह होता नहीं
पर फिर भी सोच लेती हूँ कि
जो ज़हन में बार बार जाग उठता है
वो तेरा प्यार ही तो है
ये छटपटाहट, बेचैनी
ये जो हूक सी उठती है मिलने की
वो तेरा प्यार ही तो है
अक्सर जब तेरा हाथ मेरे हाथ से
अनायास ही छूट जाता है,
मन भी बन कर चाँद का टुकड़ा
रात के अंधेरे में टूट जाता है
फिर जब तू बनके आसमाँ
मुझे बाँहों में थाम लेता है
वो तेरा प्यार ही तो है
करता तो है न मिलने की ज़िद्द
न मुड़ के देखता है
न कभी पुकारता है
सूनसान से किसी अंधे मोड़ पर
अचानक टकराता है और फिर
चलने लगता है साथ
किसी अंजानी मंज़िल की ओर
वो तेरा प्यार ही तो हैं।