वो सबसे हसीन ख्वाब!!
वो सबसे हसीन ख्वाब!!
वो सबसे हसीन ख्वाब जिसमें तुम मेरी थीं!
बनके बिजलियाँ बरसात की तुम इस दिल पे गिरी थी!
वो सबसे हसीन ख्वाब जबकि तुम मेरी थीं!
कैसे मैं भूल पाऊँगा वो दो - चार पल के लम्हे,
मिट गए थे मेरे जख्म, सारे गम थे सहमे-सहमे,
जैसे चाँद को ढ़की हो, जुल्फें मुखड़े पे यूँ गिरी थीं,
वो सबसे हसीन ख्वाब जबकि तुम मेरी थीं!
जिसकी थी मुझे तमन्ना, मेरे पास में वो सब था,
फरिश्ते भी मुझसे जल रहे, मेरी बाहों में मेरा रब था,
मेरे पास तो बस तुम थे, और तन्हाइयाँ घिरी थीं,
वो सबसे हसीन ख्वाब जबकि तुम मेरी थीं!
कहता है दिल ये मेरा तुमको ही बस पुकारुँ!
यादों बस तुम्हारी, ये जिंदगी गुजारुँ!
यादों में लेके वो छवि जब तुम सहमीं थी कुछ डरी थीं!
वो सबसे हसीन ख्वाब जबकि तुम मेरी थीं!
वो सबसे हसीन ख्वाब जबकि तुम मेरी थीं!
बनके बिजलियाँ बरसात की तुम इस दिल पे गिरी थीं
वो सबसे हसीन ख्वाब जिसमें तुम मेरी थीं!

