वो मेरी गुरु मैं उनकी परछाई हूँ
वो मेरी गुरु मैं उनकी परछाई हूँ
ऐ गुरु.....तुम्हें मन लिखूँ
तुम्हें गगन लिखूँ
तुम्हें ख़्वाब लिखूँ
तुम्हें आफ़ताब लिखूँ
तुम्हें लिखूँ
तुम्हारे जज़्बात लिखूं
तुम्हें रिश्ता लिखूँ
या फ़रिश्ता लिखूँ
तुम्हें जिंदगी लिखूँ
या तुम्हें सादगी लिखूँ
तुम्हें स्वप्न लिखूँ
या अज़ादगी लिखूँ...
तुम्हें रूह लिखूँ
या तुम्हें काया लिखूँ
मेरे नेत्र में समाया लिखूँ
तुम्हें धूप लिखूँ
या छाँव लिखूँ....
तुम्हें संसार लिखूँ
या सिर्फ़ लगाव लिखूँ...