STORYMIRROR

Kajal Pandit

Romance

4  

Kajal Pandit

Romance

वो मैं हूं

वो मैं हूं

1 min
477

झूठी हंसी के पीछे

का जो दर्द है

वो मैं हूं

बहते आंसुओं को रोक कर

अंदर घुंट जाना

वो मैं हूं


जब हवा बहकर

दूसरी गली से गुजर जाती है

पीछे छूटी हुई गली

वो मैं हूं


बादल का बनना

और फिर बारिश का होना

बारिश की आखिर बुंद

वो मैं हूं


तेरी नाराजगी के

पीछे की खामोशी

वो मैं हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance