STORYMIRROR

Kajal Pandit

Abstract

4  

Kajal Pandit

Abstract

कोरोना आया

कोरोना आया

1 min
4

"कोरोना" आया,

परिवार साथ लाया,

कुछ ऐसा होता ,

तुम भी आते,

कुछ और ना सही ,


"कोरोना" पे हीं चर्चा कर लेती,

विपत्ति की इस घड़ी में,

तुम साथ तो होते, 

तुम कुछ कहते,

मैं कुछ कहती,


आपस की असहमति पे

झगड़े भी बेसुमार होते,

इस 24 दिनों के साथ में

उम्रभर जी लेती,

कभी इस बात की पार्टी,


कभी उस बात की पार्टी,

मैं अकेली जाकर उब गई,

इस बार कुछ और न सही,

हम साथ घर बैठे कॉफ़ी हीं पी लेते !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract