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Kajal Pandit

Romance

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Kajal Pandit

Romance

......फिर तुम बहुत याद आते हो

......फिर तुम बहुत याद आते हो

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फिर तुम बहुत याद आते हो,

शहर की रौनक में कहीं गुम कर लेती हूँ खुद को,

जब लौट कर घर आती हूँ ,

  फिर तुम बहुत याद आते हो,

आईने के सामने कभी बैठती हूँ ,

सज-संवर कर,

तारीफों के दो अल्फाज तुम्हारे सुनने को तरसती हूँ ,

फिर तुम बहुत याद आते हो,

थक कर कभी बैठ जाती हूँ ,

कोई नहीं होता जब सब्र देने को,

फिर तुम बहुत याद आते हो,

करवाचौथ के चांद मैं भी देखती हूँ ,

और तुम नहीं आते हो,

फिर तुम बहुत याद आते हो !!!


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