वो लोग जो पूछ रहें है
वो लोग जो पूछ रहें है
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वो पूछ रहै हैं कैसे है?
बदल गए या वैसे हैं
रूप वही आवाज़ वही
और जीने का अंदाज़ वही
वही है यार
सभी या है अपना परिवार
वही वो पूछ रहे हैं क्या
अब भी बचपन की वीरानियों में
मशगूल हैं क्या
उमंग की रौनकों में चूर हैं
क्या देख कर
पतंग को खुशियों की बाहें फैलाते हैं
क्या यादों में तारों को गिना जाते हैं
क्या इश्क़ और इकरार का दर्पण वैद्य होता है
क्या शहर की हरियाली बदली है
या है वही क्या कद ऊँचा हुआ
या भोला मन है
वही वो पूछ रहे हैं
कैसे है क्या बदले हम या वैसे हैं??