वो एहसास
वो एहसास
वो एहसास कि ख़ास हो तुम,
वो एहसास कि मेरे आसपास हो तुम,
ज़िंदगी की भागदौड़ में,
एक सकूँ भरा विश्राम हो तुम,
थक कर हो जाऊँ चूर तपती दोपहरी में
तब ठंडक भरा आराम हो तुम
बड़ा प्यारा वो अहसास कि आसपास हो तुम,
वो एहसास कि ख़ास हो तुम,
यक़ीं सा है कि मेरी चाहत हो तुम,
भरोसा है कि मेरी राहत हो तुम ,
परेशानियों की दस्तक में,
ख़ुशियों भरी आहट हो तुम,
ज़िंदगी की बेबस बंदिशों को,
अनायास ही मिल जाए वो इजाज़त हो तुम,
बड़ा प्यारा वो एहसास कि आसपास हो तुम,
वो एहसास कि ख़ास हो तुम,
मेरे ख़्वाबों के ज़हाँ का एक अक्स हो तुम,
हाँ, प्यार है जिससे मुझे,
अनदेखे,अनजाने से वो शख़्स हो तुम,
सुबह की पहली दुआ और शाम की आज़ान हो तुम,
जो है अधूरा और शायद रहेगा भी अधूरा,
मेरे हृदय में छुपा वो अरमान हो तुम,
बड़ा प्यारा है वो एहसास कि आसपास हो तुम,
वो एहसास कि ख़ास हो तुम।

